साहित्योदय के बैनर तले प्रेमोत्सव कवि सम्मेलन सह परिचर्चा का आयोजन किया गया जिसमें देशभर के साहित्यकारों ने भाग लिया. चर्चा का विषय था – प्रेम न हाट बिकाय. इसपर सभी रचनाकारों ने प्रेम के बाजारीकरण और विद्रूप स्वरुप पर गंभीर चिंता जतायीं गयी. चंडीगढ़ के वरिष्ठ साहित्यकार गणेश दत्त बजाज ने कहा कि आज की युवापीढ़ी प्रेम के वास्तविक स्वरूप का समझ ही नहीं पा रही है. प्रेम निस्वार्थ होता है जिसमे हम अपने प्रेमी के सुख की कामना करते हैं. उन्होंने प्रेम पर सुंदर कविता पढ़ी. पटना की वरिष्ठ साहित्यकार डॉ प्रियम्बदा मिश्र ने भी प्रेम के बाजारीकरण पर चिंता जाहिर की. इसके अलावे बंगलौर से गीता चौबे गूंज, रांची डॉ विनय वर्मा जादूगर, डॉ रजनी शर्मा चंदा, गिरिडीह से युगल किशोर. प्रयागराज से डॉ शशि जायसवाल ने इस विषय पर सार्थक चर्चा की और काव्यपाठ किया. कार्यक्रम का संचालन पंकज प्रियम ने किया. गौरतलब है कि साहित्योदय हर अवसर पर सार्थक संवाद और कार्यक्रमों का आयोजन करता रहा है.
