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सुरक्षित इंटरनेट दिवस (Safer Internet Day)

■ उपायुक्त की अध्यक्षता में सुरक्षित इंटरनेट दिवस (Safer Internet Day) को लेकर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन….

■ मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का रखे ख्याल:- उपायुक्त….

■ सोशल मीडिया, मोबाइल फोन और इंटरनेट का उपयोग सतर्क रहकर सुरक्षित तरीके से करे:- उपायुक्त….

■ डिजिटल अरेस्ट और फिशिंग से जागरूक और सतर्क रहने की आवश्यकता:- उपायुक्त….

उपायुक्त सह जिला दंडाधिकारी श्री विशाल सागर की अध्यक्षता में आज दिनांक 11.02.2025 को Together For a Better Internet ( साथ मिलकर एक बेहतर इंटरनेट के लिए) थीम के तहत सुरक्षित इंटरनेट दिवस (Safer Internet Day) को लेकर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन शिल्पग्राम स्तिथ ऑडिटोरियम में आयोजित किया गया।

इसके अलावा कार्यशाला को संबोधित करते हुए उपायुक्त श्री विशाल सागर ने कहा कि सुरक्षित इंटरनेट दिवस (Safer Internet Day) हर साल फरवरी के दूसरे सप्ताह के मंगलवार को मनाया जाता है। इस साल यह आज यानी 11 फरवरी 2025 को है। इसका मुख्य उद्देश्य इंटरनेट के सुरक्षित और जिम्मेदाराना उपयोग के प्रति जागरूकता फैलाना है, खासकर बच्चों और युवाओं के बीच। इंटरनेट एक शक्तिशाली माध्यम है, लेकिन इसके साथ साइबर अपराध, डेटा चोरी, ऑनलाइन धोखाधड़ी और साइबर बुलिंग जैसी समस्याएं भी बढ़ी हैं, इसलिए इस दिवस के जरिए लोगों को साइबर सुरक्षा, डिजिटल प्राइवेसी और इंटरनेट के सकारात्मक उपयोग के प्रति जागरूक और सुरक्षित करने का प्रयास किया जाता है। आगे उपायुक्त ने कहा आज हम सभी जानते है इंटरनेट और सोशल मीडिया ने हमारे जीवन मे अपनी पैठ बनाई है उसका सकारात्मक कम नकारात्मक ज्यादा प्रभाव पड़ रहा है, जिससे हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ता हैं। आज एआई (AI) लार्ज लैंग्वेज मॉडल, चैट जीपीटी जैसे टूल्स का उपयोग सही तरीके से करने की आवश्यकता है, अर्थात इंटरनेट और सोशल मीडिया का उपयोग सही मायने में आवश्यकता अनुरूप करने की जरूरत हैं।

■ साइबर अपराध, डेटा चोरी, ऑनलाइन धोखाधड़ी और साइबर बुलिंग जैसी समस्याओं से जागरूक और सतर्क रहने की आवश्यकता:- उपायुक्त….
कार्यशाला के दौरान उपायुक्त श्री विशाल सागर द्वारा जानकारी दी गई कि सोशल मीडिया और इंटरनेट का बच्चों और युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह का प्रभाव हो सकता है। वही सोशल मीडिया और इंटरनेट का ज़्यादा इस्तेमाल करने से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर कई तरह के नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं। सोशल मीडिया एक ऐसी वर्चुअल दुनिया है, जहां सब कुछ बेहद खुशनुमा और खूबसूरत है। इंटरनेट पर रील्स देखने से हमारे शरीर में डोपामाइन नामक हैप्पी हार्मोन ज्यादा मात्रा में बनने लगता है और हम अच्छा महसूस करते हैं। लेकिन ऐसा करते वक्त समय का ध्यान नहीं रहता और घंटों तक लोग रील्स ही देखते रह जाते हैं। वही सोशल मीडिया पोस्ट पर मिलने वाले लाइक और कमेंट हमारे दिमाग पर बहुत गहरा असर डालते हैं। इसके अलावा इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म मुख्य रूप से उपयोगकर्ता का डाटा एकत्र करके लाभ कमाते हैं। यह अक्सर संवेदनशील जानकारी का दुरुपयोग करते हैं, जिसे किशोर ठीक से नहीं समझते। ऐसे में आवश्यक है कम समय के लिए सोशल मीडिया या इंटरनेट का उपयोग सकारात्मक कार्य के लिए किया जाए।

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